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Shayri
Love
Writes
Friday, April 5, 2019
मिलने की तडप तो आज भी दिलो मे जागा करती है
रातो को उठ उठ कर आज भी निंदे टूटा करती है
सफरो पर निकले ये रासते भी काहा खतम होते है
जाहा से दिल की दड़कन थाम जाऐ
वाहा से कबरों की राहें शूरू होआ करती है
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